जया और विजया एकादशी पर करें ये काम नहीं होगा कोई कष्ट

 
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए एकादशी सबसे बड़ा व्रत होता है। यह व्रत न केवल जीवन में समस्त सुख, भोग-विलास, ऐश्वर्य, सुख, संपत्ति, उत्तम जीवनसाथी और श्रेष्ठ कार्य-व्यवसाय प्रदान करता है, बल्कि मृत्यु के बाद मनुष्य को मोक्ष भी प्रदान करता है। शास्त्रों में निर्देश है किप्रत्येक मनुष्य को एकादशी के व्रत अवश्य करना चाहिए, लेकिन जो मनुष्य पूरे साल की एकादशी के व्रत नहीं कर पाते वे यदि मात्र दो एकादशियां कर लें तो उनके सारे मनोरथ पूरे हो सकते हैं। ये दो एकादशियां हैं जया एकादशी और विजया एकादशी। ये दोनों एकादशियां लगातार आती हैं और इन दोनों को करना आवश्यक होता है। किसी एक को करने का आधा लाभ ही मिलेगा। इसलिए इन दोनों को ही करना होता है।


 जया एकादशी माघ मास के शुक्ल पक्ष में आती है। इस बार यह 23 फरवरी को आ रही है और विजया एकादशी फाल्गुन कृष्ण पक्ष में आती है। इस बार विजया एकादशी 9 मार्च को आ रही है। संयोग यह है किइन दोनों एकादशियों के दिन मंगलवार है। एकादशी पर मंगलवार का संयोग इनका महत्व और भी बढ़ा रहा है। मंगलवारी एकादशी धनदायक होती है।

क्या लाभ हैं जया-विजया एकादशी के

यदि किसी युवक या युवती का विवाह नहीं हो पा रहा है। किसी की नौकरी नहीं लग पा रही है। बिजनेस कार्य-व्यवसाय जम नहीं पा रहा है या नया कार्य प्रारंभ करना है तो ये दोनों एकादशी पर व्रत करें।
धन-संपत्ति संबंधी मामले अटके हुए हैं। या कोई अन्य समस्या है तो व्यक्ति को जया और विजया एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
जीवन के समस्त अभाव दूर करने। दरिद्रता दूर करने के लिए इनका व्रत किया जाता है।
जिस विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए व्रत किया जाता है तो वह शीघ्र ही पूरी हो जाती है।
धन, संपत्ति, सुख, वैभव, ऐश्वर्य और भोग विलास की सभी वस्तुएं जातक को सहज ही उपलब्ध होने लगती है।
दोनों एकादशियों का व्रत करने से जन्मकुंडली में सूर्य और चंद्र मजबूत होता है। कुंडली के अन्य ग्रह भी संतुलित होते हैं।
एकादशी व्रत विधि

जया-विजया एकादशी का व्रत करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। इस दिन नहाने के जल में गंगाजल डालकर स्नान करें। सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दें और भगवान विष्णु-लक्ष्मी का पूजन करें। अब मन-वचन और कर्म की पवित्रता रखते हुए अपने किसी अभीष्ट कार्य की पूर्ति के लिए पूर्ण मंत्रोच्चार सहित दोनों एकादशियों के व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूर्ण श्रद्धा-भक्ति के साथ दोनों एकादशियों का व्रत करें।

जया और विजया दोनों एकादशी का व्रत पूर्ण कर लेने के बाद विजया एकादशी के अगले दिन अर्थात् फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी (10 मार्च) के दिन प्रात:काल किसी पंडित को पत्नी सहित बुलवाकर एकादशी व्रत का पारणा करवाएं। इसके लिए व्रत पूर्ण होने का पूरा विधान पंडित से करवाएं। पंडित को पत्नी सहित भोजन करवाएं और यथाशक्ति उन्हें दान-दक्षिणा देकर विदा करें।

Source : Agency

13 + 9 =

Ahtieshyam Uddin (Editor in Chief)

Email: nationalsamacharindia2019@gmail.com

Mobile:    (+91) 8770103914

(Office Chhattisgarh)

Chhatisgarh Bureau Office: Vaishali Residency, Shop No.01, Ward No. 44, Shankar Nagar, Bilaspur (CG) Pin: 495004